राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (National Leprosy Eradication Programme)
नेशनल लेप्रोसी रेडिकेशन प्रोग्राम (NELP) को भारत से कुष्ठ रोग को मिटाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाया गया था। इस प्रोग्राम का मुख्य लक्ष्य लोगों को लेप्रोसी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्रदान करना था, ताकि इससे होने वाली विकलांगता और फैलाव के खतरे को कम किया जा सके। इसे पहली बार 1955 में लॉन्च किया गया था। 1983 में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम को राष्ट्रीय कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम की निरंतरता के रूप में शुरू किया गया था।
पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम (Pulse Polio Immunisation Programme)
पल्स पोलियो इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (PPIP) 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा पोलियो के उन्मूलन के बाद भारत ने 1955 पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया, जिसका लक्षण 100 प्रतिशत कवरेज देना था। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में पाया गया था।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission)
नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) को 2005 में लॉन्च किया गया। इस मिशन का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों खासतौर पर कमजोर परिवारों को सुलभ, सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इस योजना को लागू करने के मूल उद्देश्य शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी लाना है।
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (Accredited Social Health Activist)
एक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (ASHA) जिन्हें आशा वर्कर भी कहा जाता है। यह भी नेशनल रूरल हेल्थ प्रोग्राम का एक हिस्सा है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को नियोजित किया जाता है। यह भी उल्लेखनीय है कि आसा कार्यकर्ताओं ने कोविड 19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ग्लोबल हेल्थ एजेंसी ने आशा कार्यकर्ताओं को सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जोड़ने के प्रयास की सराहना की थी।